सूचना का अधिकार एक बेहतर क़ानून है. जिससे सरकारी संबंधी सभी तरह के सूचनाएं आम आदमी को मिलती है.यह कहना गलत होगा कि इस क़ानून का उपयोग लोग अपने फायदे के लिए करते हैं या फिर सरकार के काम में दखलंदाजी करते हैं.जब इस क़ानून को बनाने का मकसद ही था लोगों को सशक्त करना और सरकारी कामों में पारदर्शिता लाना तो फिर आलोचना किस लिए ?
जनता सरकार को बनाती है,सरकार से बड़ी जनता है, सरकार को यह तय करना ही होगा कि जनता की प्राथमिकता क्या है.जनता को जानने का पूरा अधिकार है कि वह यह जाने क्या-क्या ,कैसे कब? माना की कुछ लोग सूचना का अधिकार का दुरुपयोग कर रहे है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हमें इस क़ानून की आलोचनात्मक समीक्षा करनी चाहिए |
एक सच्चे और अच्छे लोकतंत्र में समाज द्वारा यदि व्यवस्थाओं का इस्तेमाल मजाक,मनोरंजन और अहं के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए किया जाता है समस्या-समाधान के लिए बनाई गई श्रेष्ठतम व्यवस्थाए भी अपने मूल उद्देश्य से भटक कर अपनी सार्थकता खो देती हैं सूचना के अधिकार से आज बड़े नेता और मंत्री हवालात में पहुँचे हैं और ये आम आदमी के लिए सरकारी तंत्र में पहुँचने का सुगम रास्ता है.सरकार भी इस अधिकार के आने के बाद सचेत हो गई है कि कहीं वो कोई ग़लती ना कर दे |
सरकार को तो जनता ही शासन का अधिकार देती है.हम कहां-कहां भ्रष्टाचारियों से सूचना मांगते रहें,मेडिकल स्टोर में दवा की एक्सपाइरी व मूल्यों का मिलान करते रहें,उपभोक्ता फोरम में दावा करते रहें,सरकार साफ-सुथरा शासन देने में विफल हो रही है और लोगों को आपस में लड़वा रही है.मैं मानता हूँ कि ये क़ानून सरकार के कामकाज में दख़लअंदाज़ी करता है लेकिन ये ज़रुरी है की पारदर्शिता हो.लोगों को ये जानने का हक़ है कि सरकार क्या काम कर रही है अगर तमाम सरकारी काम जनता की भले के लिए है तो उस में गोपनीयता की क्या आवश्यकता है.उसे जानने का जनता को पूरा अधिकार है.रही बात देश की सुरक्षा की तो वहां पर गोपनीयता आवश्यक है,पर सरकार की मंशा तो ये लगती है की वो अपनी कमजोरियों और घोटालों को छुपाने के लिए इस कानून में बदलाव चाहती है |
सूचना का अधिकार पर काम करने वाले कार्यकर्ता ने सभी धांधलियों की कलई खोल दी है इसलिए भ्रष्ट लोगों को डर लग रहा है कि कहीं उनकी भी पोल न खुल जाए.इसलिए वे किसी भी तरीके से सूचना के अधिकार पर रोक लगाना चाहते हैं |
जनता सरकार को बनाती है,सरकार से बड़ी जनता है, सरकार को यह तय करना ही होगा कि जनता की प्राथमिकता क्या है.जनता को जानने का पूरा अधिकार है कि वह यह जाने क्या-क्या ,कैसे कब? माना की कुछ लोग सूचना का अधिकार का दुरुपयोग कर रहे है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हमें इस क़ानून की आलोचनात्मक समीक्षा करनी चाहिए |
एक सच्चे और अच्छे लोकतंत्र में समाज द्वारा यदि व्यवस्थाओं का इस्तेमाल मजाक,मनोरंजन और अहं के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए किया जाता है समस्या-समाधान के लिए बनाई गई श्रेष्ठतम व्यवस्थाए भी अपने मूल उद्देश्य से भटक कर अपनी सार्थकता खो देती हैं सूचना के अधिकार से आज बड़े नेता और मंत्री हवालात में पहुँचे हैं और ये आम आदमी के लिए सरकारी तंत्र में पहुँचने का सुगम रास्ता है.सरकार भी इस अधिकार के आने के बाद सचेत हो गई है कि कहीं वो कोई ग़लती ना कर दे |
सरकार को तो जनता ही शासन का अधिकार देती है.हम कहां-कहां भ्रष्टाचारियों से सूचना मांगते रहें,मेडिकल स्टोर में दवा की एक्सपाइरी व मूल्यों का मिलान करते रहें,उपभोक्ता फोरम में दावा करते रहें,सरकार साफ-सुथरा शासन देने में विफल हो रही है और लोगों को आपस में लड़वा रही है.मैं मानता हूँ कि ये क़ानून सरकार के कामकाज में दख़लअंदाज़ी करता है लेकिन ये ज़रुरी है की पारदर्शिता हो.लोगों को ये जानने का हक़ है कि सरकार क्या काम कर रही है अगर तमाम सरकारी काम जनता की भले के लिए है तो उस में गोपनीयता की क्या आवश्यकता है.उसे जानने का जनता को पूरा अधिकार है.रही बात देश की सुरक्षा की तो वहां पर गोपनीयता आवश्यक है,पर सरकार की मंशा तो ये लगती है की वो अपनी कमजोरियों और घोटालों को छुपाने के लिए इस कानून में बदलाव चाहती है |
सूचना का अधिकार पर काम करने वाले कार्यकर्ता ने सभी धांधलियों की कलई खोल दी है इसलिए भ्रष्ट लोगों को डर लग रहा है कि कहीं उनकी भी पोल न खुल जाए.इसलिए वे किसी भी तरीके से सूचना के अधिकार पर रोक लगाना चाहते हैं |