महान क्या होता है और भारत है क्या महान ? जैसे मुँह पर ताले पड़ गए थे..
आप सबने भी पढ़ी होगी वो ख़बर- एक बार फिर कम उम्र की घरेलू नौकरानी के साथ डाक्टर दंपति का दुर्व्यवहार, प्रताड़ना...ख़बर में उस लड़की के हवाले से लिखा था कि उसे भर पेट खाना नहीं दिया जाता था चिकोटी काटी जाती थी और उसकी चीख बाहर न पहुँचे इसके लिए मुँह को कपड़े से ठूँस कर बंद किया जाता था..
"ऐसी घटनाएँ तो छपती ही रहती हैं.. एनजीओ ने बढ़ा-चढ़ा कर रिपोर्ट लिखवाई होगी.. नौकरानियों का तो यही हाल है जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो"...
थोडा बुखार होता रहता था.. फिर ठीक हो जाता था. कभी डाक्टर के पास नहीं गई ? एक साल में कभी नहीं !
इलाज शुरू होने के तुरंत बाद ही वो स्वस्थ होने लगी.. खुश भी रहती थी
और............
फिर एक दिन वो भाग गई.. एक पहचान के लड़के के साथ ...फिर लौट आई दो दिनो बाद.. लड़का शादी-शुदा परिवार वाला था..
उसे लेने एजेंट आया और उससे पहले कि मैं उसे रोक.. कस कर उसे तमाचा मारा. मैंने पूछा एजेंट के साथ जाओगी..
मन तो नही है.. वो मुझसे ज़बरदस्ती करता है..कई बार मना करती हूं फिर भी..
कहता है जीजा साली का रिश्ता है, छेडूंगा..
चुपचाप मेरी तरफ देखने लगी.....कातर दृष्टि से....
आप सबने भी पढ़ी होगी वो ख़बर- एक बार फिर कम उम्र की घरेलू नौकरानी के साथ डाक्टर दंपति का दुर्व्यवहार, प्रताड़ना...ख़बर में उस लड़की के हवाले से लिखा था कि उसे भर पेट खाना नहीं दिया जाता था चिकोटी काटी जाती थी और उसकी चीख बाहर न पहुँचे इसके लिए मुँह को कपड़े से ठूँस कर बंद किया जाता था..
"ऐसी घटनाएँ तो छपती ही रहती हैं.. एनजीओ ने बढ़ा-चढ़ा कर रिपोर्ट लिखवाई होगी.. नौकरानियों का तो यही हाल है जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो"...
थोडा बुखार होता रहता था.. फिर ठीक हो जाता था. कभी डाक्टर के पास नहीं गई ? एक साल में कभी नहीं !
इलाज शुरू होने के तुरंत बाद ही वो स्वस्थ होने लगी.. खुश भी रहती थी
और............
फिर एक दिन वो भाग गई.. एक पहचान के लड़के के साथ ...फिर लौट आई दो दिनो बाद.. लड़का शादी-शुदा परिवार वाला था..
उसे लेने एजेंट आया और उससे पहले कि मैं उसे रोक.. कस कर उसे तमाचा मारा. मैंने पूछा एजेंट के साथ जाओगी..
मन तो नही है.. वो मुझसे ज़बरदस्ती करता है..कई बार मना करती हूं फिर भी..
कहता है जीजा साली का रिश्ता है, छेडूंगा..
चुपचाप मेरी तरफ देखने लगी.....कातर दृष्टि से....
मुझे पता था वो जानना चाहती थी कि क्या वो मेरे पास काम करती रह सकती है?
मुझे मेरे परिवार की सुरक्षा याद आई, मेरे पीछे बिल्कुल सुनसान घर फिर किसी का आना जाना शुरू कर दिया इसने तो... लड़की का मामला है किसी बड़ी मुसीबत मे ना पड़ जाउं..
उसे मेरी खामोशी से मेरे जवाब का अंदाज़ा हो गया होगा..
दुल्हन की तरह सजी झट उठ कर बोली, एजेंट के साथ जाउंगी...जनवरी की ठंडी और गहरी रात में गुम होती चली गई .. केवल उसके दुपट्टे का गोटा दूर तक झिलमिलाता रहा..
और मुझे याद आई कुलीनता .. हिंसा वाली पंक्ति.... ये कहने में शर्म सी महसूस हुई कि भारत सबसे महान है !!!!