Sunday, March 4, 2012

सोचिये ...

सचिन के 100वॉ शतक न लगा पाने से दिल टूट गया ....... बहुत से लोग हैं जिनको इन बातों से कोई मतलब ही नहीं है इसका ये भी अभिप्राय नहीं है कि ये लोग अंहकारवश किसी की खुशी के जश्न को कम बनाना चाहते हैं, हमारे पास और भी गम हैं मोहब्बत के सिवा . लोग अपना आपा खोते जा रहे हैं, मंत्री खुलेआम लोगों के गुस्से का शिकार हो रहे हैं ,देश में हाहाकार मच रहा है और सचिन के गम में डूबे हैं । खेल को खेल से अधिक महत्व देना ठीक नहीं है। लगता है  इसे दिल से ले लिया है। इस देश में 100 एम्स जैसे अस्पताल या विश्वविद्यालयों के लिए आप चिंतित होते तो यह बात समझ में आ जाती।

आज देश को जरुरत है खेल को खेल की तरह देखे और समय का सदुपयोग करे। माना ये शतक भी ज़रूरी है पर उससे ज्यादा जरूरी हर इंसान को भोजन ,काम ,सड़के,भ्रूण ह्त्या  ,ब्रष्टचार आदि दानवो को ख़त्म करने का प्रयत्न मात्र करने से जो मन को ख़ुशी होगी वो शायद के सोवे शतक लगने से कई ज्यादा होगी ।आज भी कई बच्चे माँ का स्पर्श पाने से पहले ही जीवन यात्रा करने वाली गाड़ी से इसलिए उतार दिए जाते है क्युकी दहेज़ का दानव उन्हें खा जाता है ।

खेल को खेल रखो मनोरंजन रखो इसे नाक का सवाल न बनाओ क्रिकेट नहीं तो होकी से मन बहलाओ ।आज चिंतन का स्तर इतना न गिराओ की शतक पर अटक जाओ और लाश के पास से नाक सिकोड़ के मुह फेर के आगे बढ़ जाए । 

जरा सोचिये .....