सुप्रीम कोर्ट से ए राजा के समय जारी टू जी स्पेक्ट्रम के सारे 122 लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए सरकार की मुसीबतें बढ़ गई है. चुनावी मौसम में विपक्ष के तेवर भी तीखे हो चले हैं. विपक्ष कड़ा प्रहार करते हुए तुरंत गृह मंत्री चिदंबरम को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग कर दी है क्योंकि 2008 के टू जी मामले में उन पर भी उंगलियां उठ रही हैं |
सुब्रमनियम स्वामी ने 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजग सरकार में जब मंत्रियों के समूह की अध्यक्षता करने वाले जसवंत सिंह की भूमिका की जांच की जा सकती है तो सीबीआई को चिदंबरम की भूमिका की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए।
यूपीए का पूरे कुनबे में कांग्रेस एक बार फिर अलग थलग पड़ सकती है सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये स्पष्ट हो गया है कि यूपीए सरकार की साख पर बट्टा लग गया है.लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में ना सिर्फ़ संबंधित संचार मंत्रालय बल्कि पूरा कैबिनेट और प्रधानमंत्री कार्यालय भी शामिल होता है, इसलिए ताज़ा फ़ैसले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए चिंता बढ़ गई है |
अगर चार फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत टू जी के लपेटे में पी चिदंबरम को ले लेती है तो यूपीए सरकार के लिए बड़ी फजीहत होगी और इसी संकट से निकालने की कवायद में कांग्रेसी नेता जुट गए हैं |
सवाल यह भी है की उन कंपनियों का क्या होगा जिन्होंने पैसा लगाया गलत तरीके से लाइसेंस लिया ,उन बैंको का क्या होगा जिन्होंने लोन दिया पर कंपनी से लाइसेंस वापस लेलिया । उनका कुछ भी हो सच और सही रास्तो को अपनाने वालो की ही जीत होती है यह एक बार फिर साबित हो गया ।