Tuesday, May 1, 2012

गुदगुदी

आश्चर्य है. प्रोफ़ेसर मटुकनाथ की प्रेमिका जूली को उनकी पत्नी सरेआम पीटती हैं | आश्चर्य उस गुदगुदी में है, जो मन के भीतर होती है | आश्चर्य है कि यह सब देखकर मन नहीं पसीजता, दुख नहीं उपजता |


मन बावरा है. तरह तरह की कल्पनाएँ करता है |आश्चर्य है कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला क्यों दीवाना हो जाता है. अरे शादी में हो जाए तो हो जाए, शादी टूटने बिखरने लगती है तो भी चटखारे लेने में मज़ा आता है | 


किसी ने फुसफुसाकर कहा था, "देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने की बहू एक पूर्व मिस इंडिया से नाराज़ हैं." | होती हैं तो हों, हमारी बला से, लेकिन आश्चर्य है कि मन में गुदगुदी हुई, दिल में एक लहर उठी | वह फुसफुसाहट एक कान से सुनी और फिर तुरंत दूसरा कान भी लगा दिया. परमानंद इसी को कहते होंगे | है तो बुरा, लेकिन क्या करें कि मन मंद मंद मुस्काता है. पुराने खाज को खुजली जैसा सुख मिलता है |


अब देखिए ना. जया बच्चन के घर के सामने वाले आंगन में बैठा बोफ़ोर्स नाम का भूत 25 साल बाद ले देकर टला, राहत की सांस को दो दिन भी नहीं बीते थे कि अपने पत्रकार भाई-बहन लोग उनके पिछले आंगन की तस्वीरें लेने लगे | पूछा तो कहा कि पिछले दरवाज़े से एक और भूत घुस आया है | रेखा नाम का, लोग क्या-क्या चुटकुले सुना रहे हैं, एक मित्र ने लिखा, "जो अमिताभ नहीं कर पाए वो सरकार ने कर दिया, जया और रेखा अब एक ही हाउस में हैं | " गुदगुदी असर दिखा रही है |


कल्पना के घोड़े भाग रहे हैं | लोग आंखे मूंदे मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं |कोई दुखी नहीं है , आपको अगर दुख है, तो अपना इलाज करवाइए |