गुड्डू बाबा ने अपने दम पर गंगा को साफ़ करने का बीड़ा उठाया है. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के इस मिशन में कीचड़ और गंदगी, गंगा में बहती लाशों की गंध या सरकारी निकम्मापन कुछ भी गुड्डू बाबा को उनके मिशन से डिगा नहीं पाया है.
लगातार बढ़ती गंदगी और कूड़े-कचरे ने पटना में गंगा का रूप ही बदल डाला. गंगा के पानी से लोगों को पेट और त्वचा की घातक बीमारियाँ होने लगी हैं गंगा की सफ़ाई से जुड़ी इस मुहिम की शुरुआत आज से कई साल पहले हुई. एक दिन बाबा एक ग़रीब आदमी को अपनी पत्नी के संस्कार के बाद गंगा की इसी कीचड़ में नहाते देखा बाबा पूछने पर उसने कहा कि गंगाजल के बिना पत्नी को मोक्ष नहीं मिलेगा और साफ़ पानी तक पहुंचने के लिए उसके पास नाव के पैसे नहीं उस आदमी की बात बाबा मन में घर कर गई. गंगा हम सब की ज़िंदगी की एक अहम हिस्सा है और एक नदी के रूप में भी इस संपदा को बचाना ज़रूरी है .ऐसे में अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर बाबा ने गंगा के एक-एक हिस्से को साफ़ करने का बीड़ा उठाया सुबह-सवेरे बाबा अपने कुछ साथियों के साथ घाटों पर पहुंच जाता और नदी में उतर कर पानी में मौजूद गंदगी को बाहर निकालते.
कई लोग बाबाके साथ ज़ुड़ते गए ये विडंबना ही है कि गंगा को बचाने के नाम पर सरकार की ओर से ज़मीनी प्रयास कम और दिखावटी प्रयास ज़्यादा हो रहे हैं
.
उदयपुर झील के लिए काम कर रहेगैर सरकारी संगठन हैं वे बाबा से एक सबक ले और उत्साह भंग नहीं किया जाना चाहिए .एक दिन हम भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त और झीलों में ताजा साफ पानी मिलता है.
लगातार बढ़ती गंदगी और कूड़े-कचरे ने पटना में गंगा का रूप ही बदल डाला. गंगा के पानी से लोगों को पेट और त्वचा की घातक बीमारियाँ होने लगी हैं गंगा की सफ़ाई से जुड़ी इस मुहिम की शुरुआत आज से कई साल पहले हुई. एक दिन बाबा एक ग़रीब आदमी को अपनी पत्नी के संस्कार के बाद गंगा की इसी कीचड़ में नहाते देखा बाबा पूछने पर उसने कहा कि गंगाजल के बिना पत्नी को मोक्ष नहीं मिलेगा और साफ़ पानी तक पहुंचने के लिए उसके पास नाव के पैसे नहीं उस आदमी की बात बाबा मन में घर कर गई. गंगा हम सब की ज़िंदगी की एक अहम हिस्सा है और एक नदी के रूप में भी इस संपदा को बचाना ज़रूरी है .ऐसे में अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर बाबा ने गंगा के एक-एक हिस्से को साफ़ करने का बीड़ा उठाया सुबह-सवेरे बाबा अपने कुछ साथियों के साथ घाटों पर पहुंच जाता और नदी में उतर कर पानी में मौजूद गंदगी को बाहर निकालते.
कई लोग बाबाके साथ ज़ुड़ते गए ये विडंबना ही है कि गंगा को बचाने के नाम पर सरकार की ओर से ज़मीनी प्रयास कम और दिखावटी प्रयास ज़्यादा हो रहे हैं
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उदयपुर झील के लिए काम कर रहेगैर सरकारी संगठन हैं वे बाबा से एक सबक ले और उत्साह भंग नहीं किया जाना चाहिए .एक दिन हम भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त और झीलों में ताजा साफ पानी मिलता है.
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