हर भारतीय को एक विशिष्ट पहचान देने के मक़सद से चलाए गए ‘आधार’ कार्यक्रम को शुरू हुए कलएक साल पूरा हो गया.सरकार के मुताबिक 'आधार' की मदद से वो लोग भी मदद के हक़दार हो पाएंगे जो पहचान पत्रों के मोहताज हैं.लेकिन कई लोगों का कहना है कि उनके पास पहले से कई और पहचान पत्र होने के बावजूद सरकारी योजनाओं के फायदे उन्हें नहीं मिलते.
ये योजना लागू कर रहे ‘यूआईडीएआई’ के अध्यक्ष नंदन निलेकनी का कहना था कि इस महत्त्वाकाँक्षी योजना का मक़सद उन लोगों को पहचान प्रदान करना होगा, जिनके पास ये साबित करने के लिए कोई प्रमाण नहीं है.जिन दस करोड़ लोगों के नामांकन का दावा किया गया है उनमें से चंद लोगों से जब पूछा गया कि उन्हें इस योजना के बारे में जानकारी है या नहीं, तो जवाब कुछ यूँ मिले.
भारत सरकार की महत्वाकाँक्षी 'आधार' योजना के तहत एक साल में दस करोड़ लोगों के नामांकन का दावा किया गया है हालाँकि उनमें से कई को अब भी इस योजना के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है.
इस परियोजना में निजता के हनन, पारदर्शिता की कमी और इसके व्यावसायीकरण की संभावना, नागरिकों को कोई नंबर देना और उनके फिंगरप्रिंट लेना दासता का प्रतीक है !ये योजना लागू कर रहे ‘यूआईडीएआई’ के अध्यक्ष नंदन निलेकनी का कहना था कि इस महत्त्वाकाँक्षी योजना का मक़सद उन लोगों को पहचान प्रदान करना होगा, जिनके पास ये साबित करने के लिए कोई प्रमाण नहीं है.जिन दस करोड़ लोगों के नामांकन का दावा किया गया है उनमें से चंद लोगों से जब पूछा गया कि उन्हें इस योजना के बारे में जानकारी है या नहीं, तो जवाब कुछ यूँ मिले.
“मेरे ख़्याल से इस कार्ड के होने से मेरे बैंक खाते में मुझे हज़ार रुपए प्रति महीना मिलेंगे. बाकी राशन पानी का पता नहीं.”
एक बस्ती में कई सालों से रह रहे लोगों को करीब 6 महीने पहले ही एक पहचान पत्र, राशन कार्ड मिला लेकिन बस्ती में रहने वाले अजय कहते हैं कि, "पिछले 6 महीने में हमें सिर्फ एक बार राशन मिला है और मिट्टी का तेल तो मिला ही नहीं." बस्तीवालों के मुताबिक अपनी अर्ज़ी लेकर वो कई अधिकारियों के पास जा चुके हैं, लेकिन हर महीने राशन मिलने का सपना तो सपना ही रह गया, और राशन की दुकान पर अक्सर ताला ही मिलता हैग़ौरतलब है कि यूआईडी को क़ानूनी मान्यता देने की प्रक्रिया अभी जारी है और इससे जुड़ा विधेयक स्थाई समिति में लंबित है. जिन लोगों के लिए ये योजना मुख्य रूप से लाई गई है उस आम जनता को इन सब फ़ायदों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.एक अन्य व्यक्ति ने बताया, “मेरा आधार कार्ड तो बन गया है, लेकिन उसके फ़ायदों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. चूंकि ये कार्ड सरकार बनवा रही है, तो हमें बनवाना ही पड़ा.”
सरकार परेशानी की जड़ को नहीं समझना चाहती, इसलिए इलाज भी गलत दिशा में कर रही है.लोगों के बीच कम जानकारी के अलावा आधार कार्ड को लोगों तक समय पर पहुँचाना भी 'यूआईडीएआई' के लिए एक चुनौती साबित हो रहा हैएक और पहचान पत्र से कितना फायदा होगा? जब तक सरकारी तंत्र दुरुस्त नहीं होगा, सरकारी दफ्तरों में बाबू काम नहीं करेंगे, भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक सरकारी योजनाएं लागू नहीं होंगी.
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