आठ साल ,दो हज़ार नौ सौ बाईस दिन ....पीछे देखने पर अद्भुत अहसास होता है २६ जनवरी २००४ को शादी और आज आठवी सालगिरह ,धन्यवाद है उस प्रभु का जिसने जीवन की पटरी के हम दोनों पहियों को सामान धरातल प्रदान किया ...वैसे कही कही उतार चढाव का सामना करना पड़ा ।
आठ साल बड़ा समय नहीं है पर आज जब आस पास देखने पर लगता है की आठ महीने भी निकालना जिस संसार में कठिन है नए जीवन साथी और परिवार के साथ, वहा आठ साल उपलब्धि सामान है ।जहा लोग हर पल हतु धन्यवाद देते है हमें आठवे साल में ख़ुशी थी ...
फैसला मेरी तरफ से यही था की किसी तरह का मनमुटाव न हो ....सयम दोनों ओर से बरता जा रहा था ।इसी बीच हमारे पुत्र से रहा नहीं गया "आज आप जिस तरह से हो रोज़ ऐसे क्यों नहीं रह सकते " बात मे दम था ।
आख खुलते ही सामने एक तोहफा ,छब्बीस जनवरी की छुट्टी लोगो के बधाई फ़ोन कई सीखे ...कई शुभकामनाए तैयार हो कर गुरूजी के आश्रम की आशीर्वाद लेने निकल पड़ा ....दोपहर २ बजे तक वापसी फिर वो फूलो के गुलदस्ते जो बधाई देते और प्रेरणा देते की इस तरह आठ से साठ तक चले चलो !
झील का किनारा ...शाम का समां ..और जीवन साथी का साथ ! बस यही वो पल था जो अविभूत कर रहा था ।
आज फिर वो बाते वो वादे ... यह समय यु ही चलता रहे यह ख़ुशी के पल हमेशा साथ रहे ....
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