Sunday, February 26, 2012

वो एक कैदी


यह एक सत्य कथा है ......शायद उसकी जगह कोई भी हो सकता था पर वो था मजीद जो 17 वर्ष का था और एक दिन वो रास्ता भूल कर कसूर से सीमा पार चला गया और भारत के सीमा सुरक्षा बल के हाथ चढ़ गया.जाँचकर्ताओं ने कई दिनों की जाँच के बाद पाया कि मजीद जासूस या आतंकवादी नहीं है तो उन्होंने उसे अवैध रुप से सीमा पार करने के आरोप में जेल भेज दिया गया.मजीद को पंजाब और राजस्थान की चार जेलों में रखा गया और दो बार जज के समक्ष पेश किया गया.
साल 2001 में मजीद को मुशर्रफ़ और वाजपेयी की आगरा में हुई मुलाक़ात के कुछ दिनों बाद मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं के दबाव पर मजीद को रिहा करने का आदेश दिया गया था.लेकिन जुलाई 2010 तक अदालती फ़ैसले पर अमल नहीं हो सका.
आख़िरकार मजीद को जेल से निकाल कर अमृतसर पहुँचाया गया और विभिन्न जेलों से रिहा किए गए दूसरी पाकिस्तानी क़ैदियों के साथ वाघा सीमा पर पाकिस्तानी अधिकारियों के हवाले किया गया.मजीद को उनका भाँजा और छोटी मौसी किराए की गाड़ी में पाक-भारत सीमा पर लेने आए.
मजीद को बताया गया कि उनके पिता का 1994 में और माता का 2004 में निधन हो गया.बड़ी बहन के चार और छोटी के दो बच्चे हैं. यह लोग कसूर से लाहौर आ चुके हैं और कसूर वाला घर बेच दिया गया है.मगर मजीद ये सब कुछ नहीं सुन रहा था, उनका ध्यान कहीं ओर था और वह हर व्यक्ति को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था. 31 साल में दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी थी.
जैसे ही गाड़ी लाहौर के सज़बाज़ार इलाक़े में पहुंची तो मोटर साइकल पर सवार चार लोगों ने आगे आकर उसे रोकने की कोशिश की.लेकिन गाड़ी के ड्राईवर ने रोकने के बजाए गाड़ी ओर तेज़ कर दी जिस पर मोटर साइकल पर सवार लोग आक्रोश में आ गए और उन्होंने गाड़ी पर सीधी फ़ायरिंग की.ड्राइवर उसी समय मर गया और गाड़ी खंबे से टकरा गई. मजीद, उनकी मौसी और भाँजे को घायल स्थिति में अस्पताल पहुँचाया गया.
अगली सुबह मजीद मर गया.अस्पताल प्रबंधन ने शव मजीद की बड़ी बहन के हवाले करते हुए एक फॉर्म भरने को कहा.
मजीद की बहन ने फॉर्म में लिखा.
नाम: अब्दुल मजीद
जन्म तिथि: 05 नवंबर 1962
मृत्यु तिथि: 29 जुलाई 2010
आयु: 17 


Saturday, February 25, 2012

योजनाओं की सफलता

खाद्य सुरक्षा कानून लगभग 75 प्रतिशत ग्रामीणों और 50 प्रतिशत शहरवासियों को सात किलो खाद्यान्न प्रति माह तीन रुपए प्रति किलो या कम पर उपलब्ध कराया जाएगा।इसका विरोध सिर्फ इस तर्क से किया जा रहा है कि इससे सरकार की वित्तीय स्थिति पर असहनीय बोझ पड़ेगा।खाद्यान्न पर सरकार द्वारा लगभग 60,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे हैं। इस कानून के लागू होने पर खर्च बढ़कर लगभग 125,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।


विरोध अनुचित है। लगभग दो करोड़ सरकारी कर्मियों को 500,000 करोड़ रुपये का प्रतिवर्ष वेतन दिया जा रहा है। कर्मी का औसत वेतन 2,50,000 रुपये प्रतिवर्ष है। इसके सामने गरीब परिवारों को दी जाने वाली मात्र 1,500 रुपये प्रतिवर्ष खाद्यान्न सब्सिडी को असहनीय क्यों बताया जा रहा है?
विश्व बैंक द्वारा कराए गए अध्ययन में पाया गया कि केवल 41 प्रतिशत खाद्यान्न ही लाभार्थियों तक पहुंचा है। मान लीजिए सरकार ने 10 किलो गेहूं 15 रुपये प्रति किलो में खरीदा और पांच रुपये प्रति किलो फूड कार्पोरेशन का खर्च हुआ। सरकार को कुल 200 रुपये खर्च करने पड़े। इस 10 किलो में 30 प्रतिशत यानि तीन किलो गरीब को मिला। बाजार से खरीदने पर गरीब को 45 रुपये देने होते, राशन दुकान से उसे यह नौ रुपये में उपलब्ध हो गया। यानी 36 रुपये की राहत गरीब तक पहुंचाने में सरकार को 200 रुपये खर्च करने पड़े। 


इस कानून में कुछ खामियां जरूर हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। पहली समस्या लाभार्थी के चयन की है।दूसरी समस्या नगद के दुरुपयोग की है।रोजगार गारंटी योजना भी नगद ट्रांसफर की ही है। इसमें काम का दिखावा किया जाता है। जननी सुरक्षा योजना में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में प्रसव पर और धनलक्ष्मी योजना में जन्म के पंजीकरण, टीकाकरण और बच्चे के स्कूल में जाने पर नगद पुरस्कार दिया जा रहा है। इन योजनाओं की सफलता के परिणाम उपलब्ध हैं। यदि गरीब द्वारा नगद का दुरुपयोग होता तो इन योजनाओं के दुष्परिणाम सामने आए होते।

Friday, February 24, 2012

मास्टर ब्लास्टर और दोहरा शतक

दो  साल पूर्व आज ही के दिन  24 फरवरी २०१० को हमारे  भारतीय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने ग्वालियर में इतिहास रचते हुए वनडे क्रिकेट की दुनिया का पहला दोहरा शतक बनाया था .दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले जा रहे इस मैच में तेंदुलकर ने 147 गेंदों का सामना किया और 25 चौके और तीन छक्के लगाए.इसके साथ ही उन्होंने लगभग 13 साल पुराना एक रिकॉर्ड भी तोड़ा और वो था वनडे के सर्वोच्च स्कोर का. पहले यह पाकिस्तान के सईद अनवर (194 रन) के नाम था.




                        


दक्षिण अप्रीका के खिलाफ भारत ने टॉस जीता था और सहवाग के साथ सचिन ने उस दिन पारी की शुरुआत की थी. खेल के अंत तक तेंदुलकर दो सौ रन बनाकर नाट आउट रहे.


पत्रकारों से बातचीत में सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि रिकॉर्ड तो टूटने के लिए ही बनते हैं. सचिन ने कहा कि वो अपनी क्रिकेट का पूरा आनंद उठा रहे हैं और उन्हें खुशी है कि उनकी पारी से टीम ने बड़ी जीत दर्ज की.


क्रिकेट की दुनिया में फिर एक बार भारत का नाम स्वर्णिम हुआ फिर दुनिया ने मास्टर ब्लास्टर सचिन और भारत का लोहा माना या यू कहे की सचिन ने अपना लोहा मनवाया !

Wednesday, February 22, 2012

नो पॉलिटिक्स प्लीज ख़ैर....

प्रतिभावान हैं, आधुनिक हैं, सब चीज़ें जानने की कोशिश करते हैं, सोशल नेटवर्किंग के दौर का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन अभी भी राजनीति पर बात करने से कतराते हैं.बात कर टका सा जवाब मिला- नो पॉलिटिक्स प्लीज.
कुछ देर बाद एक गुट राज़ी हुआ.बातचीत में राजनीति को लेकर उनकी उलझन सामने आ गई.समय नहीं है. पढ़ाई का दबाव होता है....इत्यादि, इत्यादि. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वे देश-दुनिया से बेख़बर हैं.


"व्यस्तता के बावजूद कुछ समय निकल ही जाता है. अख़बार पढ़ लेते हैं. इंटरनेट पर देख लेते हैं. क्या चल रहा है, कौन सी पार्टी क्या प्रचार कर रही है, किसका क्या एजेंडा है." युवा नेताओं की बात आई तो अखिलेश को राहुल से ऊपर रखा. सर्वेंद्र कहते हैं कि राहुल को अभी ज़मीनी सच्चाई का आभास नहीं है.छात्र उन पार्टियों से नाराज़ हैं, जो लोकतंत्र की बात तो करती हैं, लेकिन उनकी पार्टी में ही लोकतंत्र नहीं है राजनीति में उन लोगों के लिए विकास के अवसर नहीं हैं, जो निचले स्तर पर काम करते हैं. उनकी ये दुविधा कई युवा की दुविधा है, जो राजनीति में प्रगति के कम अवसर को देखते हुए उसमें पड़ना ही नहीं चाहते.


"छात्रों को भी प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए, जो पढ़ाई के कारण अपने-अपने शहरों से दूर हैं. अब कानपुर वो पुराना कानपुर नहीं, जिसे मैनचेस्टर ऑफ़ ईस्ट कहा जाता था. यहाँ उद्योग का काफ़ी नुकसान हुआ है और इसके लिए मैं राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानता हूँ अभी काफ़ी लंबा सफ़र तय करना पड़ेगा, उन्नति और प्रगति के लिए." 


............आईआईटी कानपुर के छात्र देश चुनाव पर !!!



Monday, February 20, 2012

महाशिवरात्रि

                                                 Maha Shivaratri
Maha Shivratri is a Hindu festival celebrated every year in reverence of Lord Shiva. Alternate common names/spellings include Maha SivaratriShivaratriSivarathri, and Shivaratra. Shivaratri literally means the great night of Shiva or the night of Shiva. It is celebrated every year on the 13th night/14th day of the Maagha or Phalguna month of the Hindu calendar.


Lord Shiva was married to Devi Parvati on Shivratri. Remember Shiva minus Parvati is pure 'Nirgun Brahman'. With his illusive power, (Maya, Parvati) He becomes the "Sagun Brahman" for the purpose of the pious devotion of his devotees.It is also believed that on Shivratri, Lord Shiva became 'Neelkantham' or the blue-throated by swallowing the deadly poison that came up during the churning of "Kshir Sagar" or the milky ocean. The poison was so deadly that even a drop in His stomach, which represents the universe, would have annihilated the entire world. Hence, He held it in His neck, which turned blue due to the effect of poison. Shivratri is therefore also a day of thanksgiving to the Lord for protecting us from annihilation.


The festival is principally celebrated by offerings of Bael or Bilva/Vilvam leaves to Lord Shiva, all day fasting and an all night long vigil. From the very early morning, Shiva temples are flocked by devotees, mostly women, who come to perform the traditional Shivalinga worship and hence hope for favours from the god. Devotees bathe at sunrise, preferably in the Ganga, or any other holy water source (like the Shiva Sagartank at Khajurao). This is a purificatory rite, an important part of all Hindu festivals. Wearing a clean piece of clothing after the holy bath, worshippers carry pots of water to the temple to bathe the Shivalinga. They offer prayers to the sun, Vishnu and Shiva.Women pray for the well-being of their husbands and sons. An unmarried woman prays for a husband like Shiva, who is considered to be the ideal husband. The temple reverberates with the sound of bells and shouts of “Shankerji ki Jai” or 'Hail Shiva'. Devotees circumambulate the linga, three or seven times, and then pour water over it. Some also pour milk.

Saturday, February 18, 2012

छवि देश की

उत्तर कोरियाई अधिकारियों ने देश की बदहाल अर्थव्यवस्था की हालत ठीक करने के इरादे से छात्रों से पढ़ाई रोकने के लिए कहा .राजनयिकों के अनुसार छात्रों को भवन निर्माण के काम में लगाया जा रहा है ताकि  उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल संग की जन्मशती के आयोजनों की तैयारी में तेज़ी आ सके.रॉयटर्स के अनुसार छात्रों को अप्रैल 2012 तक निर्माण के कामों में लगने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।


दो साल पहले उत्तर कोरिया ने शहर में आवास की कमी को दूर करने के लिए दो लाख आवास बनाने की घोषणा की थी.अभी तक मात्र दस हज़ार घर बन पाए हैं, इसलिए काम में तेज़ी लाने के लिए छात्रों को युनिवर्सिटी से निर्माण स्थलों पर ले जाया जा रहा है.अभी विश्वविद्यालयों को बंद नहीं किया गया है और अध्यापक, स्नातकोत्तर छात्र और विदेशी छात्र विश्वविद्यालय जा रहे हैं।


वैसे कोरिया मे छात्र फ़सल की कटाई या दूसरे कामों में हाथ बँटाया करते रहे हैं लेकिन उनकी पढ़ाई में इतना लंबा व्यवधान पड़ने की घटना अपवाद है .अब बहस यह है की क्या लोगो का भविष्य बनाना जरूरी है या देश की उन्नति ...बुद्धिजीवी इस विचार में लगे है की पढ़ लिख कर युवाओ को अपना भविष्य सुधरना है या देश की छवि को धूमिल न होने देनी है ।

Friday, February 17, 2012

जीन परिवर्तन : हृदय रोग

                                                  दिल
एक जीन में होने वाले परिवर्तन की वजह से भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों को हृदय रोग का ख़तरा बहुत बढ़ रहा है.वैज्ञानिकों का कहना है कि इस इलाक़े के कोई चार फ़ीसदी लोगों में ऐसा परिवर्तन देखा गया है.अधेड़ उम्र के लोगों में यदि यह जीन मौजूद हुआ तो उन्हें हृदय रोग का ख़तरा 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.


अब वैज्ञानिक ऐसी विधि ढूँढ़ने का प्रयास कर रहे हैं जिससे कि किसी भी व्यक्ति को पता चल सके कि यह जीन परिवर्तन उनके भीतर हो रहा है या नहीं.यह खोज वेलकम ट्रस्ट संगर इंस्टिट्यूट ने की है जिसकी शाखाएँ हैदराबाद और इंग्लैंड में हैं.


आमतौर पर हृदय रोग कई कारणों से होता है जिसमें जीवनशैली शामिल है.वैज्ञानिक मानते हैं कि अपने पूर्वजों से विरासत में मिली जीनों के कारण भी ख़तरा बढ़ता है दिल के एक प्रोटीन जीन में होने वाले परिवर्तन का असर व्यापक दिखता है .वैज्ञानिकों का कहना है कि आश्चर्य की बात यह है कि ऐसा परिवर्तन  इलाक़े में दिखाई दे रहा है.भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी हिस्से में इसका असर उत्तर की तुलना में कुछ ज़्यादा है लेकिन पूर्वोत्तर के कुछ इलाक़ों में इसका असर बिल्कुल भी देखने में नहीं आया.


एक अनुमान है कि वर्ष 2010 तक दुनिया के 60 प्रतिशत हृदय रोगी भारत में होंगे.इस बीमारी के इतने तेज़ी से बढ़ने के कारणों में जीवनशैली में परिवर्तन, व्यायाम की कमी और खानपान है लेकिन इसके पीछे इस जीन में होने वाले परिवर्तन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता .

Thursday, February 16, 2012

Shahryar Saab


. सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान सा क्यों हैं ? .. इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों हैं ? 
 Shahryar was the famous Urdu poet  who is known in the Urdu and Hindi world for his beautiful songs in the classic Urdu film "Umrao Jaan". Critics rave about his poetry, but unlike his songs, his couplets have not been able to attain mass popularity.
Seene Me Jalan Aankhon Me Toofaan Sa Kyun Hai
Is Shehr Me Har Shaks Pareshaan Saa Kyun Hai

Dil Hai To Dhadakne Ka Bahaana Koyee Dhundhe
Patthar Ki Tarah Behis-o-Bejaan Sa Kyun Hai
Kunwar Akhlaq Mohammed Khanwas born at Anwala village in Bareilly, Uttar Pradesh on June 16, 1936, Sahitya Akademy Award in 1987 for his anthology of Urdu poetry titled, "Khwab Ka Dar Band Hai".And also the Gyaanpeeth .

Is Anjuman Me Aapko Aana Hai Baar Baar
Deewar-o-Dar Ko Ghaur Se Pehchaan Lijiye


Once asked why he discontinue writing songs and lyrics for movies  Shahryar said: "The songs that are being made nowadays — I can't write such songs. It is not that I am against those songs but I know I can't write like that. That is why I am not writing for films anymore ... After 'Umrao Jaan', I did write lyrics for some films. One of them was 'Anjuman' made by Muzaffar Ali and many more that unfortunately could not release due to certain circumstances. Then there was one called 'Habba Khatun Zuni'. All the songs got recorded; in fact the film also was almost complete, but because of the Kashmir issue it got shelved. Another reason for my absence from the Bollywood scene was that I did not consider myself a professional lyricist, plus I don't live in Mumbai."


http://www.in.com/videos/watchvideo-jnanpith-awards-for-urdu-poet-shahryar-9635476.html
Shahryar's greatest contribution is that he refused to break the mold of ghazal. What he did was to add a dash of modernity to this popular genre without tampering with its traditional structure. This is a particularly tough task, but not for Shahryar. He came out with some of the best lines in Urdu poetry.

Ghar Ki Taameer Tasawwur Hi Me Ho Sakti Hai
Apne Naqshe Ke Mutaabiq Ye Zameen Kuch Kam Hai

Bichde Logon Se Mulaqaat Kabhi Phir Hogi
Dil Me Ummeed To Kaafi Hai Yaqeen Kuch Kam Hai 


Tuesday, February 14, 2012

यह प्यार का डे

शहरों में वेलेंटाइन-डे का खुमार पूरे ज़ोरों पर है, मॉल्स, क्लब्स, डिस्कोथेक जहाँ भी नजर दौड़ाएं सभी लाल व गुलाबी रंग की थीम से सजे मिलेंगे... वैसे तो वेलेंटाइंस-डे की शुरुआत एक हफ्ते पहले ही शुरु हो जाती है और इन सातों दिन को हम अलग-अलग नाम से मनाते हैं... जैसे- सात फरवरी- ‘रोज डे’, आठ फरवरी- ‘प्रपोज डे’, नौ फरवरी- ‘चॅाकलेट डे’, दस फरवरी- ‘टेडी डे’, ग्यारह फरवरी- ‘प्रॉमिस डे’, बारह फरवरी- ‘किस डे’, तेरह फरवरी- ‘हग डे’, चौदह फरवरी- ‘वेलेंटाइन डे’..


प्यार का यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है... पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर होती है, और पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना अलग अंदाज होता है... जहाँ चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ के नाम से जाना जाता है, वहीं जापान व कोरिया में इस दिन को ‘वाइट डे’ का नाम से मनाते हैं... इतना ही नहीं, इन देशों में तो इस दिन से लेकर पूरे एक महीने तक यहाँ पर लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं... 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था


शहंशाह क्लॉडियस के शासन में संत वेलेंटाइन ने जब ईसाई धर्म को अपनाने से इंकार कर दिया था, तो क्लॉडियस ने उनका सिर कलम करने के आदेश दिए थे... कहा जाता है कि संत वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की अंधी बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था 'तुम्हारा वेलेंटाइन'... यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से यह दिवस मनाया जाने लगा... तो इस तरह से प्यार के पंछियों के लिए ये दिन हमेशा के लिए खास हो गया और इजहा-ए- मोहब्बत करना भी आसान हो गया... इस दिन का पूरी दुनिया को बेसब्री से इंतजार रहता है... तो भला कैसे कोई इस पल को इस दिन को भुलाना चाहेगा... और कौन अपने प्यार के अफसाने को मंजिल तक लेकर नहीं जाना चाहेगा... 

Sunday, February 12, 2012

Tame the untamed


The little prince went away, to look again at the roses.It was then that the cat appeared. 
"Come and play with me," proposed the little prince. "I am so unhappy."
"I cannot play with you," the cat said. "I am not tamed."
"What does that mean--'tame'?"
The cat gazed at the little prince, for a long time.Men have no more time to understand anything. They buy things all ready made at the shops. But there is no shop anywhere where one can buy friendship, and so men have no friends any more. If you want a friend, tame me . . ."
well tame is brought from wildness into a domesticated or tractable state.!!!


 I have never met a cat like her. It turns out that poor cat has been left alone a lot in his life. He has not been properly socialized, and now has a rather severe problem with aggressive behavior. If anyone comes near him he growls, hisses and even bares his teeth and lunges at humans.That's because he was never tamed ?


From Horse to dog to cat to even lion in a circus... they all are tamed by man but ofcourse no one is there to tame the man .only time can tame the untamed one .So beware of all your ugly deeds or else 
the untamed could one day be tamed ..........................................................

Saturday, February 11, 2012

Life is to be enjoyed



And they say that there is no such thing as a stupid question; well they were wrong, weren’t 'they'? why would you be wasting your time here.Throw in a scavenger hunt and how could we say no?


Curry, tea, yoga, Hindu, saris, Bollywood- you guessed it - I'm talking about India. How about if I told you --Holy shit !we have some seriously awesome beer Probably a wedding or some celebration for the locals with salsa, chopsticks, jeans, yuppies- what would you think then? Its the new cosmopolitan INDIA. 




we couldn’t have been more honored when we were asked if we wanted to be involved,most importantly — fun. “It’s beer, after all. Serious beer drinkers, however, are in for a treat.The Bar Crawl is set to begin promptly .Pour a slightly hazy golden amber color with a finger of fluffy white head that leaves lots of lacing. Very nice, powerful hoppy aroma, citrus and pine along with some sweetness.

No! no! no !!!! we never want to know how they make it where they grow or how much hops will be enough ,the only thing which bothers us is when is the pub going to take its last order and we'll stock up for the whole night !!!!!


Tuesday, February 7, 2012

Poem .


"पुष्प की अभिलाषा"


चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक ।।                                     - माखनलाल चतुर्वेदी

Monday, February 6, 2012

युवराज : The Run Mechine

                               
1999 में पहली बार तब गया जब उन्होंने अंडर-19 पंजाब क्रिकेट टीम की ओर से खेलते हुए कूच-बिहार ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल मुक़ाबले में बिहार के ख़िलाफ़ जमशेदपुर में 358 रन और  युवराज सिंह को श्रीलंका में जनवरी 2000 में आयोजित अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेलने का मौक़ा मिला जहां मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी में भारत ने टूर्नामेंट जीता था.आईसीसी नॉक-आउट ट्रॉफ़ी के दौरान वर्ष 2000 में कीनिया के ख़िलाफ़ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में पदार्पण करने वाले युवराज ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अपने दूसरे अंतरराष्ट्रीय मैच में ही 82 गेंदों में 84 रन की धमाकेदारी पारी खेली.


अंतरराष्ट्रीय मैचों में युवराज सिंह ने अपनी पहला शतक वर्ष 2003 में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ जड़ा.उन्होंने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर 119 गेंदों में 139 रन बनाए. इंडियन ऑयल कप 2005 में मोहम्मद कैफ़ के साथ वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ शतकीय पारी.युवराज सिंह ने साल 2005 और 2006 में एकदिवसीय मैचों में ज़ोरदार प्रदर्शन करते हुए दक्षिण अफ़्रीका, पाकिस्तान और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ लगातार तीन श्रृंखलाओं में मेन ऑफ़ द सीरीज़ का ख़िताब अपने नाम किया.इन श्रृंखलाओं के 15 मैचों में उन्होंने तीन शतक और चार अर्धशतक लगाकर आईसीसी की एकदिवसीय मैचों में चोटी के दस बल्लेबाज़ों में अपनी जगह बनाई.


सितम्बर 2007 में राहुल द्रविड के हटने के बाद महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी मिलने पर युवराज सिंह को उपकप्तानी करने का मौक़ा मिला.नवंबर 2008 में उन्होंने राजकोट में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 78 गेंदों पर 138 रन बनाए और नाबाद रहे. उन्होंने 64 गेंदों पर शतक बनाया था जो उस समय किसी भी भारतीय खिलाड़ी के द्वारा सबसे तेज़ी से बनाया दूसरा शतक था.वर्ष 2011 के क्रिकेट विश्वकप में युवराज सिंह ने आयरलैंड के पांच विकेट चटकाए और ऐसा करने वाले वे पहले खिलाड़ी बने.विश्वकप में उन्होंने कुल 362 रन बनाए और 15 विकेट चटकाए, जिसकी बदौलत उन्हें मेन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया.


एकदिवसीय मैचों के साथ ही 20-20 मैचों में भी युवराज सिंह का बल्ला ख़ूब चला. उन्होंने आईसीसी के पहले 20-20 विश्वकप में डर्बन में एक ओवर में छह छक्के जड़े थे.ऐसा नहीं है कि युवराज सिंह सिर्फ़ बल्लेबाज़ी ही करते हैं. वर्ष 2009 में आईपीएल मैचों में दो बार ऐसे मौक़े आए जब उन्होंने विरोधी टीम के तीन खिलाड़ियों को लगातार आउट करके हैट्रिक लगाई.वर्ष 2011 में आईपीएल के लिए पुणे वॉरियर्स नामक नई टीम बनी तो युवराज सिंह को इस टीम में कप्तान भी बनाया गया.



Sunday, February 5, 2012

Cricket Ka Sahara !

A policeman walks past a logo of the Board of Control for Cricket in India (BCCI) during a governing council meeting of the Indian Premier League (IPL) at BCCI headquarters in Mumbai April 26, 2010. REUTERS-Arko Datta-REUTERS

These already troubled times for Indian cricket have just got worse, with the Sahara Group announcing on Saturday that it is ending its decade-long sponsorship of the India team .Sahara Group has pulled out of its sponsorship deal with the Board of Control for Cricket in India (BCCI) and the Pune franchise of the Indian Premier League .Citing instances where it has been denied "natural justice" in IPL, Sahara said in a statement: "We really feel such one-sided emotional relationship cannot be dragged (out) any further. We are withdrawing from all cricket under BCCI.However, Sahara don't want to give any problem to the BCCI and they also feel that the players should not suffer. BCCI will definitely take 2-4 months to get a new sponsor and Sahara will continue paying the sponsorship money until then.

Yuvraj Singh is suffring from cancer and is undergoing 

chemotherapy in the U.S. The Sahara Pune warriors has requested 

BCCI to consider Yuvraj's illness and allowed them to include 

Yuvraj's price of ($ 1.8 million ) into there auction purse ($ 1.6 million) for the february 4 auction but BCCI rejected the 

request. Apparently discounts were made in the last champions 

league for Mumbai Indians,who were hit by several withdrawals due to injury and allowed to field five foreign players instead of 

four.Sahara felt that this one sided emotional relationship can't 

be dragged any further and withdrew their sponsorship from all cricket under BCCI.



Financially, this is the latest in a series of blows to Cricket India, which has suffered in the recent downturn, with Airtel pulling out as title sponsors of last year's Champions League Twenty20 tournament and the Board fighting a legal battle to encash a giant, Rs 10-billion bank guarantee after terminating its TV rights contract with Nimbus Communications.

Saturday, February 4, 2012

The Ghost of Anna !

As the campaign for the 2012 elections takes off in the ultimate political battleground of UP, there are straws in the wind to suggest that the Anna effect may well outlast its founder. Take the case of Mayawati. Over the last six months, the Empress of Lucknow has sacked as many as 20 ministers on corruption charges. While Mayawati has never shied away from displaying an authoritarian streak, the manner in which she has chosen to virtually cleanse her cabinet suggests the BSP Supremo is acutely conscious of the damage the serious corruption charges have done to her image.


Now, take the case of Mayawati's great rival for power in Uttar Pradesh, the Samajwadi party. Last week, its new face Akhilesh Yadav did something his father, Mulayam Singh, would probably never have done. He refused to admit DP Yadav, once seen as the unquestioned don of western Uttar Pradesh, into the Samajwadi party fold, even removing party spokersperson Mohan Singh from his post for endorsing the don's entry. A candid Akhilesh publicly claimed that the Samajwadi Party no longer had time or space for the mafia.For a party which has been tainted by the tag of criminality, Akhilesh's decision marks an important shift in strategy. In the Mulayam Singh-Amar Singh years, the Samajwadi Party was seen as a cash-and-carry party which provided free entry to those with money and muscle power.


What Akhilesh Yadav is attempting now, Rahul Gandhi has been trying in Uttar Pradesh for some time now. In all his campaign speeches, Rahul emphasises on the need to break away from the web of caste, corruption and criminality that UP has been mired in for over two decades now. Caste is an inescapable reality, one which no party can ignore, but by taking a stand on not giving tickets to criminal candidates, Rahul is hoping to offset the organisational limitations confronting the Congress party on the ground.


It's a claim that the BJP too was hoping to make till the Babu Singh Kushwaha episode saw it score a virtual self-goal. Such was the anger within and outside the party, that the BJP was eventually forced to go through the bizarre charade of getting Mr Kushwaha to 'suspend' himself from party membership till he was cleared of corruption charges.


None of this is to suggest that there will be a dramatic change in the quality of elected representatives, especially in the absence of long-term election reforms. There will still be Bahubalis ('musclemen') who will make it to the Vidhan Sabha.But politics is as much about perception as it is about reality. And this is where the Anna factor creeps in.Even if Anna stays back in Ralegan Siddhi and doesn't campaign in the elections, his ghost will haunt the political class. Which is why the BJP was forced to change its chief minister in Uttarakhand six months before the elections, which is why the BJP-Akali combine in Punjab is facing a serious challenge and which is why every political party in UP is attempting an image makeover. In the end, the elections may still be decided by caste and community loyalties, but to believe it's business as usual would be a risky proposition this time .

Friday, February 3, 2012

लाइसेंस टू G

सुप्रीम कोर्ट से ए राजा के समय जारी टू जी स्पेक्ट्रम के सारे 122 लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए सरकार की मुसीबतें बढ़ गई है. चुनावी मौसम में विपक्ष के तेवर भी तीखे हो चले हैं. विपक्ष कड़ा प्रहार करते हुए तुरंत गृह मंत्री चिदंबरम को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग कर दी है क्योंकि 2008 के टू जी मामले में उन पर भी उंगलियां उठ रही हैं |

सुब्रमनियम स्वामी ने 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजग सरकार में जब मंत्रियों के समूह की अध्यक्षता करने वाले जसवंत सिंह की भूमिका की जांच की जा सकती है तो सीबीआई को चिदंबरम की भूमिका की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए।

यूपीए का पूरे कुनबे में कांग्रेस एक बार फिर अलग थलग पड़ सकती है सुब्रमण्यम स्वामी का  कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये स्पष्ट हो गया है कि यूपीए सरकार की साख पर बट्टा लग गया है.लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में ना सिर्फ़ संबंधित संचार मंत्रालय बल्कि पूरा कैबिनेट और प्रधानमंत्री कार्यालय भी शामिल होता है, इसलिए ताज़ा फ़ैसले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए चिंता बढ़ गई है |

अगर चार फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत टू जी के लपेटे में पी चिदंबरम को ले लेती है तो यूपीए सरकार के लिए बड़ी फजीहत होगी और इसी संकट से निकालने की कवायद में कांग्रेसी नेता जुट गए हैं |


सवाल यह भी है की उन कंपनियों का क्या होगा जिन्होंने पैसा लगाया गलत तरीके से लाइसेंस लिया ,उन बैंको का क्या होगा जिन्होंने लोन दिया पर कंपनी से लाइसेंस वापस लेलिया । उनका कुछ भी हो सच और सही रास्तो को अपनाने वालो की ही जीत होती है यह एक बार फिर साबित हो गया ।

Wednesday, February 1, 2012

The era of transformation

We Indians have made decent progress in several areas during the last 60 years. We have produced world-class scientists, engineers, journalists, soldiers, bureaucrats, politicians and doctors. We have built complex bridges and dams. We have sent satellites and rockets into space. We have increased the number of doctors tenfold.


Our India have increased life expectancy from 32 years to 65 years. We have built about 1.25 million miles of new roads; we have multiplied our steel production by over 50 times and cement production by almost 20 times. We have increased our exports from a few million dollars at the time of independence to more than $125 billion now, with about $150 billion of imports.


The Green revolution started in 1965, not only transformed India into a food-surplus economy from a food-deficit economy but also triggered the expansion of the rural, non-farm economy. The lives of at least 400 million to 500 million Indians have been uplifted due to this initiative. 


The White revolution have made us  the largest producer of milk in the world thanks to Dr Verghese Kurien. Due to the economic reforms  Our hard currency reserves have gone up from a mere $1.5 billion in 1991 to over $220 billion today. No other technology has brought India--the urban and the rural--together so effectively as the 500-line EPABX designed and implemented by the Center for Development of Telematics under the leadership of Sam Pitroda.


Yash Pal's Satellite Instructional Television Experiment blossomed into a full-scale television facility connecting millions of villages of India. Television has made our political masters realize that their actions and inactions will be seen and judged by every citizen--from the forgotten villages of Assam to the activist villages of Kerala. This technology has given voice to the opinions of a billion people--the rich and the poor.


Dr. Homi Bhabha conceptualized the Indian nuclear program and initiated nuclear science research in India. His program has made possible successful utilization of nuclear energy in defense, power generation, medicine and allied areas. Our peaceful use of nuclear energy has raised India's prestige as a mature and responsible player in this field.N. Vittal's Software Technology Program, along with the economic reforms of 1991, laid the foundation for this industry's spectacular progress. India's information technology exports grew from a mere $150 million in 1991-92 to $31.4 billion in 2006-07, and is projected to reach $60 billion by 2010. The Indian IT industry is unique for several reasons. It focused on exports; benchmarked with the best global companies; followed the finest principles of corporate governance; created the largest number of jobs in the organized sector.


This transformations were all led by visionaries. These visionaries adopted and improved upon global benchmarks and settled for nothing less despite tremendous odds. In each of these initiatives the national government was a genuine catalyst whose extraordinary leaders helped fashion the India of today.They and so many others created an India where all Indians have the freedom to design, innovate, create and build their futures together.