किसान वो प्राणी है जो अन्य प्राणियों के भोजन व्यवस्था में जीवन पर्यन्त उलझ कर रहता है। भगवान और माँ के पश्च्यात यदि कोई पूजनिक है तो मेरी नज़र में वो किसान है ।
किसानों के अत्यधिक संघर्षरत जीवनयापन को ढर्रा मान उन्हें चुपचाप कड़ी मेहनत के पश्चात कम में गुजरा करने वाले के रूप में महिमामंडित कर सरकार से मिलने वाली कई सुविधाओ से वंचित रखा गया
इन दिनों किसान की सहनशीलता जवाब देती दिखाई पड़ रही है पहले राजस्थान और आज महाराष्ट्र में किसानों ने एक जुट हो जातिवाद की राजनीति करने वालो के मुह पर करारा तमाचा जड़ अपनी शक्ति प्रदर्शित की है
आज जो इस किसान रैली को राजनीतिक बोल रहा है वो निहित स्वार्थी तबका है वो भूल गया कि किसान वो भोली कौम है जो मेहनत और मौसम से लड़ कर उसके लिए भोजन जुटाता है वो भी निस्वार्थ भाव से ..
हमे किसानो को आज इक्कीसवीं सदी में इज़्ज़त देनी ही होगी अन्यथा यदि एक बार वो हमारे लिए सोचना बंद कर देगे तो धरती का संतुलन बिगड़ जाएगा।
अतः तिरस्कार के कटु शब्द से नही प्रेम की मीठी वाणी से अन्नदाता का अभिवादन हो ऐसा वातावरण तैयार कर स्वयं को अनुग्रहित करे ।
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