सुना है अगले हफ्ते दीवाली है !अपने देश का सबसे बड़ा दीपो का त्यौहार जिसमे लोग घर को साफ़ सुथरा कर के रौशनी से सजाते है | क्योकि इसी दिन श्री राम १४ वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या पर राज करने पधारे ... की ख़ुशी का इज़हार और सुयोग्य राजा के राज की ख़ुशी हेतु घी के दिए जलाये |
रौशनी के त्यौहार पर आज पूरे राज्य को चिंता है की क्या दीवाली के दिन पूरे चौबीस घंटे बिजली आएगी ?क्या कोई यह सुनिश्चित कर पायेगा की मिठाइयो में मिलावट नहीं होगी ?
पटाखों से निकलने वाली ज़हरीली गैस से नुक्सान न हो इसका तो उपाय होगया होगा पर भोपाल गैस के ज़हर का इलाज आज भी नहीं होपाया
आज क्या हमे सुयोग्य शाषक मिलेगा ?क्या हमारे रास्ते के खड्डे भरके ओमपुरी के गालो जैसी सड़क सही होपाएगी ?
क्या दाल अनाज नमक घी तेल आम इंसान की पहुच में आपयेगा ?महंगे नमक मिर्च आज गरीब को सूखी रोटी और नमक भी नसीब नहीं होने दे रही |
जो बटोर सकता है वो माल बटोर कर ठाट से बैठा है और बाकि आपस मे राजनेता को कौस कर अपनी खीज निकाल रहा है |दीवाली मे चार की जगह दो पटाखे छोड़ ,दो किलो की जगह आधा किलो और वो भी मिलावटी मिठाई ला कर सिस्टम को कोस कर सो जायेंगे और दुसरे दिन फिर गृहस्थी की गाड़ी मे कोल्हू के बैल की तरह जुट जायेंगे | कोई झकझोर कर जगाना भी चाहे तो उठ कर दो तिन कदम उसके साथ चल कर फिर आखो पर पट्टी बांध कर कोल्हू के बैल बेन जाना ही सबसे सरल और आसन जीवन शैली लगती है हमें सो फिर अपने "कम्फर्ट ज़ोन " में चले जाते है |
वैसे हमारे लिए यही सही है अंधेर नगरी चौपट राज .............और इस तरह राम राज्य कभी नहीं आपायेगा ?
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