भारतीय संदर्भ में शादी और संस्कार एक दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं । बदलते वैश्विक समाज के बरक्स स्त्री-पुरुष संबंधों में जाति-विजाति जैसे मसले गौण हो गए हैं, परंतु जब विवाह संस्कार की बात आती है तो जाति प्रमुख हो जाती है, फिर भी अंतरजातीय विवाह का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। प्रायः देखने में आता है कि उच्च वर्ग की लड़की या लड़का चाहे जिस वर्ग या कुल की लड़की या लड़के से शादी कर ले, समाज उसे स्वीकार कर लेता है. मसलन डॉक्टरी, इंजीनियरिंग और प्रशासनिक सेवाओं में जाने वाले युवक-युवतियों का अपनी मर्जी से शादी करना. लेकिन मध्यम और निम्न वर्ग में ये उतना आसान नहीं है।
भारत में जातिवाद, वंशवाद हजारों साल से चल रहे हैं, भारत मे जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं.जिन्हें चालाकी से ओनर किलिंग का नाम दिया गया है,वे जातीय हत्यायें ही होती हैं। सिर्फ कहने के लिए ही हम21वीं सदी का ढिंढोरा पीटते हैं,विश्वबन्धुत्व तक की लम्बी-चौड़ी बातें भी करते हैं, मगर गाँवों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है कि यहाँ अवैध खाप पंचायतें अंतरजातीय बलात्कारियों को तो बचाती हैं और अंतरजातीय विवाह करने वालों की हत्यायें तक कर देती हैं।
भारत में शादी दो व्यक्तिओं के मिलन तक सीमित नहीं होती है. यह दो परिवारों का संबंध माना जाता है। अलग-अलग जातियों के परिवारों की संस्कृति और रहन-सहन में बहुत अंतर होता है. दो अलग-अलग जातियों के व्यक्ति एक दूसरे को पसंद कर सकते हैं लेकिन ये जरूरी नहीं है कि उनके बीच शादियां भी सफल हों. इसलिए मित्रता प्रोत्साहन योग्य है पर शादियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता नहीं है
देश अभी तक मानसिक रूप से इतना विकसित नहीं हुआ है कि अंतरजातीय विवाह को सार्वजनिक तौर पर मान्यता दे सके।खासकर ग्रामीण इलाकों में अभी भी अंतरजातीय विवाह करनेवालों को हिकारत भरी नज़रों से देखा जाता है अंतरजाती विवाह में वर्ण व्यवस्था छिन्न-भिन्न होने से वर्णसंकर पैदा होंगे. महाभारत में अर्जुन ने श्रीकृष्ण से यही प्रश्न किया था। वर्णसंकर की एक नई पौध तैयार होगी समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को जो सम्मान और पूछ मिली हुई है वो खोजाने का खतरा है इस लिए कई बार बच्चो की ख़ुशी समाज में हैसियत पर भरी पद जाती है शिक्षा के विस्तार से आज अंतरजातीय विवाह में भारी बढ़त होरही है ।आज समाज के उच्य तबके को आगे आकर ये बहस छेड समाधान लाना होगा और प्रेम की स्वतंत्रता रखनी होगी और लड़के लड़की से पूछ के विवाह तय करना होगा तभी तरक्की की ओरे कदम बढ़ेंगे ।
भारत में जातिवाद, वंशवाद हजारों साल से चल रहे हैं, भारत मे जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं.जिन्हें चालाकी से ओनर किलिंग का नाम दिया गया है,वे जातीय हत्यायें ही होती हैं। सिर्फ कहने के लिए ही हम21वीं सदी का ढिंढोरा पीटते हैं,विश्वबन्धुत्व तक की लम्बी-चौड़ी बातें भी करते हैं, मगर गाँवों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है कि यहाँ अवैध खाप पंचायतें अंतरजातीय बलात्कारियों को तो बचाती हैं और अंतरजातीय विवाह करने वालों की हत्यायें तक कर देती हैं।
भारत में शादी दो व्यक्तिओं के मिलन तक सीमित नहीं होती है. यह दो परिवारों का संबंध माना जाता है। अलग-अलग जातियों के परिवारों की संस्कृति और रहन-सहन में बहुत अंतर होता है. दो अलग-अलग जातियों के व्यक्ति एक दूसरे को पसंद कर सकते हैं लेकिन ये जरूरी नहीं है कि उनके बीच शादियां भी सफल हों. इसलिए मित्रता प्रोत्साहन योग्य है पर शादियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता नहीं है
देश अभी तक मानसिक रूप से इतना विकसित नहीं हुआ है कि अंतरजातीय विवाह को सार्वजनिक तौर पर मान्यता दे सके।खासकर ग्रामीण इलाकों में अभी भी अंतरजातीय विवाह करनेवालों को हिकारत भरी नज़रों से देखा जाता है अंतरजाती विवाह में वर्ण व्यवस्था छिन्न-भिन्न होने से वर्णसंकर पैदा होंगे. महाभारत में अर्जुन ने श्रीकृष्ण से यही प्रश्न किया था। वर्णसंकर की एक नई पौध तैयार होगी समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को जो सम्मान और पूछ मिली हुई है वो खोजाने का खतरा है इस लिए कई बार बच्चो की ख़ुशी समाज में हैसियत पर भरी पद जाती है शिक्षा के विस्तार से आज अंतरजातीय विवाह में भारी बढ़त होरही है ।आज समाज के उच्य तबके को आगे आकर ये बहस छेड समाधान लाना होगा और प्रेम की स्वतंत्रता रखनी होगी और लड़के लड़की से पूछ के विवाह तय करना होगा तभी तरक्की की ओरे कदम बढ़ेंगे ।
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