यह सर्वविदित है की भगवद गीता में श्री कृष्ण ने कर्म को भक्ति के सामान महत्वपूर्ण दर्शाया है | यू तोसभीप्राणीइस क्षणभंगुर और नाशवान संसार में जन्म लेते है जीते है और मृत्यु को प्राप्त होते है |परन्तु उन्ही का जीना और मरना सार्थक है जो देश जाती धर्म के लिए लेश मात्र का भी योगदान देते है और अपने पीछे ऐसी वास्तु छोड़ जाते है जो मानव कर्त्तव्य को बतलाती हो और उसे ठीक तरह से सँभालने और समझने में सहायता करती हो |सैनिक अपना रक्त देने का प्रण दे केर देश और समाज की रक्षा कर संसार रूपी वृक्ष की जड़े सीच जाते है ,परन्तु कुछ ऐसे भी महापुरुष है जो अपने आदर्श चरित्र के उपहार से देश की नीव को सुद्रढ़ और स्थाही बनाते है |ऋषि मुनियों की पवन धरा पर प्रेरणा की किरने दिव्य मानियो से सदेव अबुझ रहेगी और मानवता का पथप्रशस्त करती रहेगी |
lot of micro issues are to be addressed so they need people to talk about them in public . ...and i have taken the initiative. (जीवन के सफ़र में बहुत कुछ अनकहा रह जाता है ......उसे कहने का प्रयास )
Sunday, April 1, 2012
प्रकाश
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