Saturday, May 7, 2011

शराब

शराब ........ नाम भी ललचाता है इसका तो |आदि काल से ही सुरा,मदिरा ,मैखाने आम इंसान को यहाँ तक की देवताओं ,दानवो और यक्षो को भी आकर्षित करते रहे है |

ना जाने किस कम्बक्त ने शराब को शबाब से जोड़ा .....आज देश  दुनिया का हर नौजवान शराब पी कर अपने   घर परिवार की ऐसी तैसी पैसा ,प्रतिशता मान, मर्यादा गवा कर कर रहा है |यह जानते हुए भी की यह जीवन में दुःख हाहाकार के सिवा कुछ नहीं देता लोग हर शाम अपना अपना बहाना ले कर मैकदे की और रुख कर ही लेते है |

शादी बयाह में शराब कई समाजो में जरूरी प्रतिष्ठा बताना का जरिया है पर आज हर समाज की वर निकासी के दौरान युवा लोगो को नाचने हेतु मदिरा सेवन ठीक उसी तरह जरूरी है जैसे गाडी चलने के लिए डीजल |

ग़ज़ल सुनते वक्त जाम हाथ में न हो तो जीवन ही नीरस है .......कमा किसके लिए रहे है .......इस तरह के जुमले आम हो चुके है ...

सोचने की जरुरत है या नहीं यह आप लोग ही बहेतर ढंग से बता सकते है |