Friday, April 27, 2012

                      
          " मेवाड़ री चिंतामणि री लाखीणी वाता "


                  भारत वान्चो
सबी नर भारत वान्चो रे ,सही सुख योहिज साँचो रे |
घरो घर भारत वान्चो रे ,सबी नर भारत वान्चो रे ||
भारत में अवतार लियो नै ,भारत सु अणजाण |
वी भारत रा पूत नहीं ,पण भारत रा पाषाण ||
भारत सु भ्रमणा मटे रे ,भारत सु भय जाय |
भारत ने भगवान् वणायो ,सुख रो सांच उपाय ||
भारत रो रत्नागर सागर ,ई रो छः न पार |
सारा ही नर नार विचारो ,वेदा रो अवतार ||
भारत भार उचायो सबरो ,आरत भार उतार |
भारत व्हैता ई भारत रो ,यो कई हाल अबार ||

            जगावण
जागो जागो रे भारत रा वीरा जागो |
थाणो कठे केशारियो वागो ||
थे हो पूत वणारा जाया ,ज्य़ारो जश सुरगा तक लागो |
अबे ऐश आराम वास्ते ,मत कूकर ज्यू भागो ||
दारु दुर्जन संग निवारो ,पर दारा ने त्यागो |
यो आळस रो अवसर नी है ,सोवे सो ही अभागो ||
अंग्रेजा री अक्कल सीखो ,अवगुण छोड़ो आगो |
ऊभा मूत्या मत नी आवे ,समे काम सर लागो ||
इंद्रिया जीत जीतग्यो मन ने ,सो सरदार सभागो |
यारो होय गुलाम रहे सो ,कुल ने देवे दागो ||
रे'त पाळ रजपूती राखो ,ईश्वर में अनुरागो |
छोड़ो झूट घमंड खार ने ,पळ पळ पग दो आगो ||

                    डाकी
यू कई पड्यो पसर ने डाकी |
थारे कणी जगा जावा की ||
कठी पगरखी कठी अंगरखी ,कठी पागडी न्हाकी |
टिगट टेमरी खबर खोज नी ,कटगी गांठ रिप्या की ||
घर घर जाण विह्यो थू गाफल ,रेल घणी दौड़ा की |
चढ़े जणी ने पड़े उतरनो ,या है रीत अठा की ||
आयो कठू कठे उतरेगा ,कतरा टेशण बाकी |
खाधी भांग गाळमा कीधी ,बोतल पीधि आखी ||
कुण सुणे ने कीने केवा ,हालत हाय नशा की |
शंकर सावधान व्हे जणीरो ,देख दशा दूजा की ||


(यो चतुर चिंतामणि रो ज्ञान है)