Friday, December 9, 2011

हमारे देव बाबू

                                                
देव बाबू की  सुर्खियों मे रहने की कला ही है जो आज हर अखबार की खबर यह साठ के दशक का स्टाइल आइकॉन बना बैठा है और देश के गणमान्य, न्याय से जुड़े  लोग खीज रहे है की मीडिया संवेदन हीन खबरों को तूल देरही है और घोटालो ,किसान अत्म्हात्याओ को तरजीह नहीं दीजारही है |

तो काटजू साहब ५०,६० और ७० के दशक के सामाजिक और संस्कृतिक मुद्दों का सही सटीक चित्रण अगर आज कोई देखना चाहता है और जिनसे उनतीनो दशको में परिवर्तन आया है वो इन्ही देव बाबू की फिल्मो की वजह से ..
युवा शक्ति युवा भारत की  सोच बनाने में देव साहब जैसे ही लोगो का हाथ है

और यदि ऐसे फिल्मकार ,को किसी अखबार के मुखपृष्ट पर जगह मिली तो उनकी शिक्षा ,नारी सम्मान ,सहनशीलता की  प्रगतिशील सोच ,मेहनत ,परिश्रम के बल पर मिली उनकी फिल्मो में ग्रामीण परिवेश का बखूबी चित्रण  ,विश्ववादी सोच  को ६० के दशक में छोटे शहरो में देव साहब ही लेकर गए १९९९ में अटल जी देव साहब को   अपने साथ लाहोर ऐसे ही नहीं लेगए .

आज भी लोग उनकी बाल बनाने से ले कर चलने बोलने और कपडे पहनने का अनुसरण कर रहे है टोपी को नया आयाम देव साहब ने ही दिया .अतः मेरी विनती है देश प्रेमी लोगो से की देश के लोग खुशहाली और कला से जुडी खबरे भी पढना चाहते है और देव बाबू जैसे फिल्म निर्माता जाने अनजाने में देश को बहुत कुछ दिया ..