Wednesday, April 23, 2014

हरी ॐ तत्सत


हरि ओम तत्सत ,हरि ओम,
महामन्त्र है ,इसको जपाकर ।
वो है कौन सा मन्त्र कल्याणकारी,
तो बोले त्रिलोचन महादेव
हरि ओम ततसत हरि ओम


असुर ने जो अग्नि का अम्बा रचा था,
तो निर्दोश प्रह्लाद क्यों कर बचा था ,
यही मन्त्र लिखे थे उसकी ज़ुबाँ पर
हरि ओम ततसत हरि ओम

लगी आग लंका में हलचल मचा था,
तो घर विभीषण का क्यों कर बचा था,
यही शब्द लिखे थे उसके मकाँ पर,
हर ओम ततसत हरि ओम

Monday, February 17, 2014

परिवर्तन की आग

आज देश नए दौर की और अग्रसर लगता है नई नीतिया नए नारे नया जोश नई सोच
बराबरी शिक्षा भरपेट भोजन इन्साफ रोजगार और भ्रस्टाचार से मुक्ति का ताना बाना दिखाई देनेलगा है लोग जस्बा और हिम्मत दिखा रहे है एक जुट हो सडको पे निकल रहे है अपना हक मागते छीनते नज़र आने लगे है

शुरुआत हो चुकी है और सभी को समझ आ गया की योगदान जरुरी है कोई भी यदि आज इस क्रांति से अछुता रहा तो आनेवाली पीढ़ी के समक्ष उसे नीचे देखना पड़ेगा

आज राजनेता का मूलमन्त्र जिसने की शर्म उसके फूटे कर्म हो चुकी थी नेता जी आम मतदाता की पहुच से दूर होने लगा था महिलाओ का आयेदिन शोषण मीडिया का हावी होना आक्रोशित जनता सडको चोराहो पे निकल पड़ी इसी का नतीजा है की आज तीसरा विकल्प उठ खड़ा हुआ आम आदमी पार्टी के रूप में और त्रस्त जनता जुट गई उसके साथ झाड़ू ले के भ्रस्टाचार हटाने

आज आम इंसान को सिर्फ साफ सुथरी व्यावस्था चाहिए उसका काम समय पे और सही चाहिए चक्कर काटने का समय नहीं है एक आम इंसान के पास बाबुओ के । सभी प्रत्याशी समझ गए या समझने का ढोंग कर रहे है की सुशाशन सादगी और कर्म निष्ट ता से ही आएगा  तरक्की हो परन्तु भ्रस्टाचार जड़ से समाप्त हो

लोगो को खुद आगे बढ़ के हिसाब मांगना है और सुनिश्चित करना है की शाशन सु साशन है  नेता आम इन्सान का सेवक है ये उसे याद रखना होगा अन्यथा हिसाब लिया जायेगा 

Saturday, February 15, 2014

Turbulence

Very good morning and great weekend ahead ! Transformation in climate is very well felt with chilling cold wave and showers .weddings as well as Valentine got a twist of shower as addon.

Everyone was in a great mood and suddenly as the eve approaches uncertainty knocks the door of democracy .The much awaited turbulance and fumble rumbles began at the capital state assembly.

Our hero resigns just 40 days after the ramlila swerning in ceremony .People got shocked divastating what about the change in system and the trust shown in that new educated leader ?

Is it his new stratagy ,is he planning something much bigger is the leader of the masses trying to come with a clear mandate so as to work freely in favour of the countrymen .Time will tell us surely

Everyone started the blame game .



Thursday, February 13, 2014

छिछोरा सदन

चोसठ  वर्षो में जो न हुआ वो आज हुआ । चोसथ वर्ष पहले न नेहरु न पटेल और न आंबेडकर ने सोचा होगा की लोकतंत्र के मंदिर में ऐसा होगा !

माँर्यादा पुर्शोतम श्री राम के देश के एक पुरुष सांसद ने संसद भवन में महिलाओ और पुरुष सांसदों पे पीसी हुई कली मिर्च का छिडकाव कर सभी मर्यादाओ को तार तार किया ।संसद के कार्य में बाधा पहुचाई संसद में तोड़ फोड़ और कोहराम मचा हुआ था ।

जिन सांसदों के पल पल के लिए जनता मेहनत मजूरी कर टैक्स देती है और उसी टैक्स का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ सांसदों के आराम और सुविधाओ पे खर्च होता है उन्हें कुश्ती करते माइक तोड़ते और संसद में हुर्दंग करने पे जनता माफ़ न करेगी

एक तरफ आम आदमी को सड़क पे गलत तरीके से गाडी चलने पे जेल भेज दिया जाता है वाही दूसरी और संसद में तोड़ फोड़ करने पे सांसदों को सिर्फ पाच दिन के लिए घर भेज गया क्यों न इनकी सदस्यता भंग कर दी जाए

सुना है सांसद आम आदमी के नुमाइन्दे है तो फिर ऐसे गैरानुशाशामक नुमैन्दो पे जनता की गाडी कमी क्यों खर्च हो ।कल भी यदि किसी को याद हो तो प्रधान मंत्री जी ने कहा था की आज सदन के लिए शर्मनाक दिन है फिर भी आज ऐसा हुआ

लोकतंत्र के रक्षक ही भक्षक बन बैठे क्यों न जनता को इन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ना चाहिए


Wednesday, February 12, 2014

Moral Science जरूरी है भाई

अँधेरा  घुप्प अँधेरा

इसी अँधेरे से देश को निकालने के लिए बनाई सरकार और सरकारी महकमे ताकि आम कहे जाने वाले उस ख़ास को अपने परिवार और समाज के अलावा कोई चिंता न रहे । मगर सत्ता सुख ने इन्हें कुत्ता बना दिया अपने देश की तरक्की भूल अपने जेब की आमदनी पे जोर लगा दिया ।

आम कहे जाने वाले ख़ास की भी गलतिया है क्यों नहीं उसी क्षण उठ बैठा विरोध करने क्यों नहीं संभाला अपना कर्त्तव्य मगर नहीं साब उसे भी तो गलिया खोजनी थी लम्बे रास्ते को छोड़ जल्दबाजी में दौड़ जीतने का प्रयत्न और वाही प्रयत्न आदत में शुमार हो गया। गोया हमें क्कैसे दिखती उनकी गलतिया हम तो खुद बईमानी का चश्मा चढ़ा के इतराने लगे ।

शिक्षा सुना है एहम भूमिका निभाती है जवान की ज़िन्दगी सुधरने में ।इसी कथन को सार्थक करने बच्चो को पढ़ने का कार्य किया सम्भ्रांत कुलीन  परिवारों ने और शुरुआत में नैतिकता के पाठ रखे गए पुस्तको में जो कहते थे अंधे को सड़क पार कराओ  भूखे को अपना भोजन दो इत्यादि ।मगर समय के साथ जब बराबरी का दौर दिखने लगा तो लगा कल तक जो हुज़ूर के समक्ष ऊची नज़र नहीं करता या जूती सर पे रख चलता वो जूती मार के हक मांगने लायक होने लगा ।
इसी सोच ने किताबो से मोरल हटा साइंस को बढ़ावा दिया ।

पैसे को सर्वोच्च स्थान मिला क्युकी पैसा ठाट बात के साथ रुतबा लता है और फिर चलन आया की जिसके पास पैसा है उस से सवाल नहीं पूछीयॆ
पैसे से हर काम होने लगा यकीनन हर गलत काम । स्कूल में पैसा दे प्रवेश ... शिक्षक को पैसा दे पास करना .... पैसा दे के नौकर खरीदना तो ठीक यहाँ नौकरी खरीदी जाने लगी .....जब बचपन से नोटों की कीमत इतनी ज्यादा देखि तो वही बटोरने की हवस पनपी ।

पैसा फेक तमाशा देख का नंगा नाच चल् पड़ा भरत की भारत भूमि पे

एक अदना सी गलती की पाठ्यक्रम से सामाजिक ज्ञान को निकल फेकना आज कितना भरी पड़ा