Wednesday, October 26, 2011

दीपावली मंगलमय, आनंदमय, सुखद हो

 आज जहा रौशनी जगमगाएगी कल वहा अन्धकार रहा होगा | अँधेरा चुपके से आकर कोने मे बैठ जाता है परन्तु प्रकाश की एक किरण भी चुप नहीं सकती दूर तक फ़ैल जाती है | माटी के दियो की जगह भलेही बिजली की रंग बिरंगी टिमटिमाती लड़ो ने लेली पर जज़्बा आज भी  अँधेरा मिटने का है |
                                                        
अलोक के इस पर्व पर सभी को चमकीला, खुशनुमा ,समृद्ध भारत का ख्याल है पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए की चमकीले भारत के साथ एक धुंधला भी है ,पढ़ा लिखा भारत है तो साथ ही जंगली भारत भी है |एक तरफ मॉल की चकाचौंध है तो दूसरी और फूटपाथ पर बेबसी है |आज दीप प्रज्वलित कर तर्क से घ्रणा का नाश करे |
                                                        Deepavali (Dipawali)
स्वस्थ शरीर ,पवित्र मन ,प्रेम पूर्ण परिवार ,इमानदार आचरण ,योग्य संताने हो तो लक्ष्मी स्वयं उस व्यक्ति के साथ होतीहै |दान लक्ष्मी को प्रिय है लक्ष्मी का आचरण है की उसे दबाव पसंद नहीं |धन उपार्जन को पवित्र तभी मानाजाता है ,जब वो विवेकपूर्ण व् न्यायसंगत तरीके से उपार्जित हो |सुख सिर्फ भोतिक सम्पदा मे नहीं है |

आज हम मन के अन्धकार से विजय पाए ,आज एक ज्ञान का दिया जलाये ,प्रेम की बाती को भाईचारे के घी से सद्भावना के उजाले के लिए प्रज्वलित कर दीपावली मंगलमय, आनंदमय, सुखद बनाये.