Saturday, June 4, 2011

मह्त्वकंग्शी बाबा और भोली जनता

आज सुबह सात बजे टीवी पर हर समाचार चैनल पर साध्वी रिथाम्भ्रा का साधुवाद बाबा रामदेव के लिए सुने दे रहा 55 हजार समर्थक रामलीला मैदान में थे  सभी को योग सिखाया आज सुबह 3 बजे सोकर उठे और प्रार्थना करने के बाद भक्तों को अनुलोम विलोम और कपाल भाति करवाते हुए कहा कि आप यहां 84 करोड़ लोगों की भूख का इंतजाम करने आए है .मै सोचने लगा की क्या एक सन्यासी जिसने मोह माया त्याग दी वो धन के लिए भोजन का त्याग कर रहा है इसका औचित्य क्या है .बाबा रामदेव ने भ्रष्‍टाचार और काले धन के खिलाफ आज अपना अनशन शुरू कर दिया है। इस आंदोलन की रूपरेखा उन्‍होंने काफी पहले तैयार कर ली थी। इसमें 5 लोगों ने अहम भूमिका निभाई है। पर्दे के पीछे रह कर इस आंदोलन को हकीकत बनाने वाले 5 पांच चेहरे हैं- गोविंदाचार्य, अजित डोभाल, एस गुरुमूर्ति, महेश जेठमलानी और वेद प्रताप वैदिक। ये पांचों इस वक्त बाबा की उस कोर टीम के हिस्सा हैं जिनसे राय-विचार कर बाबा लगातार सरकार को चुनौती दे रहे हैं।
बाबा की मांगें 
1 : विदेशी बैंकों में जमा 400 लाख करोड़ रुपए के काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर स्वदेश लाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार सैद्धांतिक रूप से राजी है। अध्यादेश लाने से किया इनकार। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले का हवाला दिया।   
2 : सरकार मेडिकल, इंजीनियरिंग और एग्रीकल्चर कॉलेजों में हिंदी
सहित अन्य भारतीय भाषाओं में प्रवेश परीक्षा और पाठ्यक्रम पर राजी। तीन महीनों में एक समिति गठित होगी,
जो रिपोर्ट सौंपेगी कि कब और कैसे यह लागू होगा।   

3 : भ्रष्टाचार के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक साल में सुनवाई पूरी करने पर सरकार सहमत। भ्रष्टों को उम्रकैद की सजा पर भी सहमति, लेकिन मृत्युदंड के प्रावधान पर इनकार।  

4: व्यवस्था में परिवर्तन करने के लिए सरकार लोक सेवा विनियमन विधेयक लाएगी। इसके तहत सरकारी कामों को निश्चित समयसीमा में निपटाने पर रहेगा जोर। एक साल के अंदर मॉडल बिल बनाकर राज्यों को भेजा जाएगा। 

यहाँ आम जनता का क्‍या? क्‍या वो इस लड़ाई में शामिल है? नहीं! क्‍योंकि आम आदमी तब तक बाबा रामदेव  की लड़ाई में शामिल नहीं होगा, जब तक उसका खुद का जीवन बेहतर नहीं हो जाता। बाबा रामदेव अगर काला धन वापस लाने के मुहिम में सफल हो भी गये, तो क्‍या लाखों की तादात में ग्रेजुएट हो रहे बेरोजगार युवकों को नौकरियां मिलेंगी? क्‍या गांव में बिजली पहुंचेगी? क्‍या पेट्रोल के आसमान छूते दाम जमीन पर आयेंगे? क्‍या दूध, दही, सब्‍जी, आटा के दाम कम होंगे? क्‍या गरीब घर के बच्‍चों को सेब जैसे महंगे फल नसीब हो सकेंगे? क्‍या सरकारी अस्‍पतालों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के अभाव में प्रसव के दौरान जच्‍चा-बच्‍चा की मौतों में कमी आयेगी? ऐसे हजारों सवाल हैं जो देश की जनता के मन में हर रोज उठते हैं।
वे अध्यात्म से भटक कर सस्ती राजनीति कर रहे हैं और भगवाधारी साधुओं को धर्म और राजनीति में घालमेल स्वामी रामदेव घोषणा कर चुके हैं कि वे उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले अपनी पार्टी की घोषणा कर देंगे। देश को काला धन मिले या न मिले बाबा को ताकत दिखने का मौका मिलगया .
क्या हज़ार व् पाँचसौ के नोट हटेंगे ,अनशन सफल होगा ,जनता का भला होगा ?
 अगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, तो स्‍पष्‍ट हो जायेगा कि  गर्म तवे पर राजनीतिक रोटियां सेकने के अलावा कुछ नहीं ।